बेख़बर हैं हालात से यूँ तेरे जहाँ वाले  संग फ़रोशी करते हैं शीशे के मकाँ वाले -Meenaxee Raj

बेख़बर हैं हालात से यूँ तेरे जहाँ वाले 
संग फ़रोशी करते हैं शीशे के मकाँ वाले


छुप जाएँ अपने घर में सब रईस लोग 
आए हैं तक़ाज़े को कोई चाक गिरेबाँ वाले 


जाते हो चमन में बारहा दीदार ए गुल को तुम 
बोते हैं फ़सल ए खार मगर हर बार गुलिस्ताँ वाले 


नया दौर है , कीजिएगा महज़ इशारों में गुफ़्तगू
पेश आते हैं गूँगो की तरह यहाँ सब ज़बां वाले 


बैठा हो पहली सफ़ में जब ख़ामोशियों का मुरीद 
सर पटकें ना क्या करें अन्दाज़ ए बयां वाले 


भर आता है तुमपे दिल ये कभी तुम से भरा नहीं
जलवे दिखा दे यार कभी फिर से कहकशां वाले 


पशोपेश में हूँ मैं अपनी नज़र उठाऊँ या नहीं
आमादा ए सवाल भी हैं नज़र ए पशेमां वाले


Meenaxee